भारतीय सैनिकों का बड़ा गौरवशाली इतिहास रहा है. देश के इन वीर जवानों ने ना जाने कितनी है कुर्बानियां दी हैं. आज भी हमारे सैनिक देश की रक्षा के लिए बॉर्डर पर सीना ताने खड़े रहते हैं. भारत माता के ऐसे ही बहादुर सैनिकों में से एक थे. Major Shaitan Singh जिन्होंने 1962 के चीनी युद्ध में एक छोटी सी टुकड़ी का नेतृत्व किया था.
इसमें उन्होंने अपनी सेना का बखूबी किया. मेजर शैतान सिंह बड़ी बहादुरी से लड़े सात दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गए इनकी मौत के बाद भारत सरकार ने इनको परमवीर चक्र से सम्मानित किया.
Major Shaitan Singh का जीवन
Major Shaitan Singh का जन्म 1 December 1924 को Rajasthan के Jodhpur जिले के बंसार गांव के एक Rajpoot परिवार में हुआ था. उनके पिता Lieutenant Colonel एम सिंह थे जिन्होंने World War के दौरान France में भारतीय सेना के साथ सेवा की और ब्रिटिश सरकार द्वारा और आहुदा ब्रिटिश अंपायर से सम्मानित किए गए थे.
Major Shaitan Singh ने Jodhpur के Rajput High School में अपनी Matric तक पढ़ाई की School में वह एक Football Player के रूप में अपने कौशल के लिए जाने जाते थे. 1943 में School की पढ़ाई पूरी करने के बाद और उन्होंने 1947 में अपनी डिग्री पूरी की . 1 अगस्त 1949 को वह एक Officer के रूप में जोधपुर State Force में शामिल हो गए.
सैनिक जीवन
Jodhpur की रियासत का भारत में विलय हो जाने के बाद उन्होंने कुमाऊं रेजिमेंट में चंदा ने तय कर दिया गया उन्होंने Naga Hills Operation तथा 1960 में गोवा के भारत में विलय में हिस्सा लिया था उन्होंने 11 जून 1962 को Major कि Post के लिए Promote किया गया था.
जब चीनी सैनिकों ने भारत पर हमला किया
1 अक्टूबर 1962 में चीनी सैनिकों ने भारत पर हमला किया जब 13 वीं कुमाऊनी बटालियन की C Company लद्दाख में तैनात थी. बटालियन में सिर्फ 120 जवान थे और 1962 की जंग में भारतीय जवानों ने Rezang La में चीनी सैनिकों का सामना किया जिसकी अगुवाई Major Shaitan Singh कर रहे थे.
बता दें कि जब China ने India पर हमला किया उस समय ना तो जवानों के पास ऐसे Weapons थे. जो Chinese Army के साथ सामने टिक पाते ना अत्यधिक सर्दी से बचने के लिए बढ़िया कपड़े नहीं थे सैनिकों को पतले कपड़ों में ही Minus के Temperature में लड़ना था . 18 नवंबर 1962 का वह दिन जब चीन ने भारत पर हमला बोल दिया उस समय भारत के पास सिर्फ 120 सैनिक थे और चीन के पास 2000 के करीब सैनिक थे .
युद्ध में नहीं मानी हार
जब चीनी सैनीक भारत की सेना पर हावी हो गए तो Major Shaitan Singh पीछे ना हटने का फैसला कर लिया. Major Shaitan Singh अच्छी तरह जानते थे की चीनी सैनिक कभी हम हमला कर सकते हैं इसलिये उन्होंने अपने सैनिकों को बुलाकर कहा की “हम 120 हैं, दुश्मनों की संख्या हमसे अधिक हो सकती है। हमें पीछे से कोई मदद नहीं मिल रही है। हो सकता है कि हमारे पास हथियार कम हों।
और हम इस जंग में बचे या हम सब शहीद हो जाए। जिसको भी अपनी जान प्यारी है वह पीछे हटने के लिए आजाद हैं, लेकिन मैं मरते दम तक मुकाबला करूंगा। Major Shaitan Singh का कहना था कि “प्राण हो पर वचन ना जाये”।
इस के बाद एक रणनीति तैयार की गई। शैतान सिंह ने कहा कि हमारे पास साधन कम है और दुश्मनों की संख्या ज्यादा है. ऐसे में कोशिश करें कि एक भी गोली बेकार न जाए। हर एक गोली निशाने पर लगी। इसके साथ, जब चीनी सैनिक मारे जाए तो उनके हथियार शिन ले जाये.
जब चीनी सेना का समाना Shaitan Singh के साथ हुआ
चाइना के आर्मी ये मान चुकी थी कि भारतीय सेना ने चौकी छोड़ दी है। लेकिन वह ये नहीं जानते थे कि उनका सामना जांबाज Major Shaitan Singh और उनके वीरों से था। सुबह के 5 बजे करीब जैसे ही भारतीयों ने दुश्मन को जब पहचान लिया तो उन्होंने चीनी आर्मी पर लाइट Machine Gun, Rifles, मोर्टार और Grenade से हमला कर दिया और कई चीनी सैनिक मार गिराए।
कुछ ही देर में हर तरफ दुश्मन की लाशें पड़ी थी। जब कुछ चीनी मारे गए तो उस वक्त Major Shaitan Singh ने कहा था कि ये युद्ध का अभी ख़त्म नहीं हुआ है.ये तो अभी शुरुआत है। जिसके बाद चीन ने दोबारा हमला किया। जब तक भारतीय सैनिकों के पास गोलियां लगभग खत्म हो गई थीं। उस समय 5 से 7 गोलियां बची थी।
सुबह के 5.40 बजे के करीब चीनियों ने Rezang La पर मोर्टार तथा Rockets से बंकरों पर गोलीबारी शुरू कर दी. Indian Army को पास केवल अपने जोश का सहारा था, क्योंकि Rezang La पर Bunker भी नहीं थे और दुश्मन रॉकेट दागे जा रहा था. इस बीच Major Shaitan Singh के हाथ में गोली भी लग चुकी थी.
Major Shaitan Singh की शहीदी
Shaitan Singh अच्छी तरह जानते थे कि 2000 Chinese Soldiers के सामने 120 भारतीय हार जाएंगे। इसके साथ ही वह जानते थे कि यदि सभी जवान शहीद हो गए तो भारत सरकार और भारतवासी यह कभी भी नहीं जान पाएंगे की रेजांग ला में क्या हुआ था. इसके बाद उन्होंने कुछ घायल सैनिकों से कहा कि वह यहां से तुरंत चले जाने को कहा.
युद्ध के दौरान Major Shaitan Singh लगातार पोस्टों के बीच एकता तथा पुनर्गठन बना कर लगातार जवानों का हौसला बढ़ाते रहे। चूँकि वह एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट पर बिना किसी सुरक्षा के जा रहे थे अतः वह गंभीर रूप से घायल हो गए और वीर गति को प्राप्त हो गए। वीरगति को प्राप्त होने के बाद उनके पार्थिव शरीर को Jodhpur लाया गया था और सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
Final Words
Major Shaitan Singh ऐसे वीर योधा थे जिन्होंने सिर्फ 120 जवानों के साथ बिना किसी बढ़िया हथियारों के साथ और किसी मदद के साथ चीन के 1300 के कीरेब सेनिकों को मार डाला था. आज रेजांग ला आज शूरवीरों का तीर्थ स्थान है.Major Shaitan Singh का नाम एक वीर योधा और एक निडर लीडर के इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए हैं. महज़ 37 साल की उम्र में देश पर कुर्बान हो गए थे. उनकी शहादत को हमारा सलाम